बेनी प्रवीन वाक्य
उच्चारण: [ beni pervin ]
उदाहरण वाक्य
- आधिक राति लौं बेनी प्रवीन कहा ढिग राखि करी बरजोरी
- बेनी प्रवीन ये लखनऊ के वाजपेयी थे और लखनऊ के बादशाह गाजीउद्दीन हैदर
- आधिक राति लौं बेनी प्रवीन कहा ढिग राखि करी बरजोरी आवै हँसी मोहिं देखत लालन, भाल में दीन्हीं महावर घोरी।
- लाए हिए नख केहरि के सम, मेरी तऊ नहिं नींद बिनाँसी लै गयी अंबर बेनी प्रवीन ओढ़ाय लटी दुपटी दुखरासी।
- बेनी प्रवीन [26] ने ‘नवसतरंग' में ‘थाई जासु बिराग' लिखकर विराग को और ‘साहित्यसागर' के रचयिता बिहारीलाल भट्ट ने ‘शान्ती स्थायी भाव है'
- आई कहाँ ते यहाँ पुखराज की, संग एई जमुना तट बाला न्हात उतारी हौं बेनी प्रवीन, हसैं सुनि बैनन नैन रसाला।
- न बुझे बिरहागिन झार, झरी हू चहै घन लागे न लावै चहै हम टेरि सुनावतिं बेनी प्रवीन चहै मन लावै, न लावै चहै।
- उन्होंने भी ‘ बेनी ' नाम से काव्य रचना करना आरम्भ किया था परन्तु बेनीभट्ट के परामर्श पर बेनीदीन बाजपेयी ने ‘ बेनी प्रवीन ' उपनाम से काव्य-रचनाएं कीं और साहित्य जगत् में विख्यात् हुए।
- भाषा की स्निग्ध सुख सरल गति, कल्पना की मूर्तिमत्ता और हृदय की द्रवणशीलता मतिराम, श्रीपति और बेनी प्रवीन के जाती है तो उधर आचार्यत्व इन तीनों में भी और दास से भी कुछ आगे दिखाई पड़ता है।
- बेनी प्रवीन [26] ने ‘ नवसतरंग ' में ‘ थाई जासु बिराग ' लिखकर विराग को और ‘ साहित्यसागर ' के रचयिता बिहारीलाल भट्ट ने ‘ शान्ती स्थायी भाव है ' लिखकर शान्ति को शान्त रस का स्थायी माना है।
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